भूख

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भूख

भूख सुनने में तो ये एक छोटा सा शब्द है, पर इसकी क्षमता इतनी है की किसी भी इन्सान को वह करने पर मजबूर कर देता है जो कोई व्यक्ति सोच नहीं सकता ।

हमारे देश का नाम भारत है। वही भारत जिसे दुनिया India, हिन्दुस्तान आदि कई नामों से जानती है। वैसे तो हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। क्योंकि हमारे देश के ज्यादातर लोगों का पेशा खेती ही है। आबादी में तो हमारा देश सम्पूर्ण विश्व में दूसरे स्थान पर आता है। हमारे देश में हर साल कई टन अनाज बारिश में पड़े -पड़े सड़ जाते है और कई टन अनाज जो गोदाम में ही पड़े रह जाते है जिसे चूहें बर्बाद कर देते है। लेकिन इसके बावजूद हर साल हमारे देश में कई बच्चे बिना भोजन के भूख से तड़प – तड़प कर दम तोड़ देते है। ग़रीबी उन बच्चों को उस उम्र में मौत की गोद में ले जा कर बैठा देती है जिस उम्र में उन्हें प्यार और दुलार की जरूरत होती है। जो बच्चें खुद को नहीं संभाल सकते है, खुद का बोझ नहीं उठा सकते है। भूख उन्हें पत्थर उठाने को मजबूर कर देती है।

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मैं एक दिन अपने office जा रहा था। मैंने देखा की एक जगह सड़क निर्माण का काम चल रहा था। वहाँ एक गरीब मजदूरिन काम कर रही थी और उसका बच्चा जो की बहुत भूखा और कमजोर लग रहा था, वहीं खड़ा अपनी माँ को देख रहा था। शायद वो अपनी माँ के काम पूरा कर के वापस आने का इंतजार कर रहा था की कब उसकी माँ आये और उसे कुछ खाने को दे। वहाँ मैं कुछ देर रुक कर उन्हें देखने लगा। इससे पहले की मैं कुछ सोंच पाता और कोई decision ले पाता। मैंने वहाँ कुछ अजीब देखा। मैं सारा दिन उस बारे में सोचता रहा। आप लोग भी अभी सोंचते होंगे की वहाँ क्या हुआ होगा। वह घटना मेरे ऊपर इतनी हावी थी की उस बारे में मैं सोंचता रहा। वो पूरा वाक्या मैं आपलोगों को एक poem के through बताऊंगा जो की मैंने उस दिन लिखी थी।

एक घर के सामने सडक बन रही थी।
गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी।
मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था।
उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था।
उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे।
दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे।
बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी,
देखा कि घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये है खडी।
बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली
लेकिन मालकिन ने रोटी पालतू कुत्ते की तरफ उछाली।
कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी
और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी।
कुत्ते का ध्यान रोटी की तरफ जरा भी नहीं था,
शायद उसका पेट पूरा भरा था।
यह देख कर बच्चा गया माँ के पास,
भूखे मन में रोटी की लिये आस।
बोला- माँ। क्या रोटी मैं उठा लूँ. . .?
जो तू कहे तो वो रोटी मैं खा लूँ?
माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया और बाद में मन में ये खयाल
किया की कुत्ता अगर भौंका तो उसका मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा. . .?
माँ के मन में खूब हुई कशमकश,
लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस।
माँ ने जैसे ही हाँ में सिर हिलाया,
बच्चे ने दरवाजे की जाली में हाथ घुसाया।
बच्चे ने डर से अपनी आँखों को मींचा,
और धीरे से रोटी को अपनी तरफ खींचा।
कुत्ता यह देखकर बिल्कुल नही चौंका।
चुपचाप देखता रहा। जरा भी नही भौंका।
कुछ मनुष्यों ने तो बेच दी है सारी अपनी हया,
लेकिन कुत्ते के मन में अब भी बची है दया. . . . .।।

यह तो मैं नहीं जानता की आप लोगों को यह poem कैसा लगा लेकिन ये एक सच्ची घटना है। आप लोगों को बस ये बताना चाहता था की उस वक़्त मैं कैसा feel कर रहा था। और जहाँ तक बात रही गरीबों की मदद करने की तो आपलोग खुद ही बेहतर जानते है की क्या करना सही है और क्या नहीं। सच कहा है किसी ने गलती तो भगवान से भी होती दो गलतियां भगवान ने भी की थी। जो चीज़ इन्सान को देनी चाहिए थी वो नहीं दी और जो नहीं देनी चाहिए थी वो दे दी। पहली की इन्सान को संतुष्टि नहीं दी और दुसरी की ये भूख दे दी।
Anyways….thank you to all of you to read this story. It would be better if you’ll share this among those people you know.

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